बच गई राजकुमारी

बहुत समय पहले की बात है ।

किसी राज्य में अकाल पड़ गया ।

सूखे के कारण कहीं भी खाने के लिए कुछ नहीं बचा ।

राजा और रानी ने अपनी बेटी यानी राजकुमारी को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया , क्योंकि उनके पास भी खाने को कुछ नहीं था ।

राजकुमारी इधर - उधर भटकते हुए एक किले के पास पहुंच गई ।

वहां उसे नीले कपड़ों में एक बुढ़िया दिखाई दी ।

उसने राजकुमारी से कहा कि भीतर आकर आराम कर लो ।

लेकिन जब राजकुमारी किले में गई , तो बुढ़िया ने उसे कैद कर लिया ।

वह बुढ़िया एक दुष्ट जादूगरनी थी ।

वह राजकुमारी से सारा दिन काम करवाती और रात में उसे बहुत थोड़ा भोजन देती ।

राजकुमारी को आंगन में घास फूस पर सोना पड़ता था ।

लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी । उसे तो जादूगरनी ने कैद कर रखा था ।

एक दिन राजकुमारी को बाग में बने एक कुएं से मदद मांगने की आवाज सुनाई दी ।

उसने कुएं के भीतर झांककर देखा , उसमें पानी नहीं था ।

वहां उसे एक मेढक उदास बैठा दिखाई दिया ।

वही मदद के लिए पुकार रहा था ।

मेढक बोला , “ यह बुढ़िया एक दुष्ट जादूगरनी है ।

इसने मुझ पर जादू करके राजकुमार से मेढक बना दिया है ।

इसने इस धरती का सारा पानी सोख लिया है , ताकि मैं सूखे कुएं से बाहर न निकल सकूं ।

" " मैं भी यहां एक बंदी की तरह हूं ।

मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हूं ? " राजकुमारी बोली ।

"

' यह जादूगरनी जहां सोती है , वहीं बक्से में रखी एक बोतल में इसने सारा पानी कैद कर रखा है ।

अगर तुम किसी तरह वहां तक पहुंच जाओ , तो हम वह बोतल खोलकर कैद पानी को आजाद कर सकते हैं ।

" मेढक ने राजकुमारी को विस्तारपूर्वक बताया । राजकुमारी ने मेढक की मदद करने के लिए हामी भर दी ।

उसने जादूगरनी के कमरे में जाना चाहा , लेकिन वह उसमें हमेशा ताला लगाए रहती थी ।

एक दिन वह खिड़की से कूदकर कमरे में चली गई । उस समय जादूगरनी गहरी नींद में सो रही थी ।

राजकुमारी ने धीरे से जादूगरनी का बक्सा खोला और पानी से भरी बोतल निकाल ली ।

फिर वह बड़े आराम से दबे पांव बाहर जाने लगी । तभी दरवाजे की आवाज से जादूगरनी की नींद टूट गई ।

वह तत्काल उठ बैठी और दौड़कर उसने राजकुमारी को पकड़ लिया ।

वह जादूगरनी राजकुमारी को बाग में बने सूखे कुएं के पास ले गई और उसे उसके अंदर धकेल दिया ।

उसने सोचा कि राजकुमारी अपनी आजादी के लिए चाबी चुराने आई थी ।

लेकिन उसे यह पता नहीं चल सका कि राजकुमारी अपने साथ पानी से भरी बोतल ले गई थी ।

राजकुमारी की ऐसी हालत देखकर मेढक को बहुत दया आई । वह उसे दिलासा देने लगा ।

तभी राजकुमारी को पानी से भरी बोतल याद आ गई , जो उसकी जेब में रखी थी ।

वह मेढक को बोतल देते हुए बोली , “ ये लो , अब बताओ कि क्या करना है ? " मेढक बोला , " मैं इस बोतल को खोलकर उसका पानी उलटने जा रहा हूं ।

तुम तैरने के लिए तैयार रहना , क्योंकि यहां भी पानी भर जाएगा । "

ज्यों ही मेढक ने पानी से भरी बोतल खोलकर उसे उलटी , त्यों ही वहां बाढ़ आ गई और वे पानी के साथ कुएं से बाहर आ गए ।

उस पानी ने जादूगरनी का जादू समाप्त कर दिया ।

जादूगरनी उसमें डूबकर मर गई । वह पानी सारी धरती पर फैल गया ।

एक बार फिर चारों ओर हरियाली छा गई ।

जादूगरनी का जादू टूटते ही मेढक अपने असली रूप में आ गया , वह एक सुंदर राजकुमार में बदल गया था ।

फिर वे दोनों महल में पहुंचे , जहां राजा और रानी ने उनका स्वागत किया ।

वे उन बहादुर बच्चों से मिलकर बहुत खुश हुए ।

राजकुमारी और राजकुमार का विवाह कर दिया गया ।

इसके बाद वे उस राज्य में खुशी - खुशी रहने लगे ।