मॉरिस की कार

मिस्टर मॉरिस एक गरीब किसान थे ।

लेकिन उनके पास एक पुरानी कार थी , जिससे वे बेहद प्यार करते थे ।

कार का रंग धुंधला हो गया था ।

वह कार मिस्टर मॉरिस के पास कई साल से थी , इसलिए वे उसे बदलना नहीं चाहते थे ।

उन्होंने उसका नाम ' मिस लूसी ' रख दिया था ।

एक दिन मिस्टर मॉरिस मिस लूसी को अपने साथ पड़ोस में लगने वाली बाजार में ले गए ।

उन्हें अपने खेत के लिए जरूरी सामान लेना था ।

उन्होंने मिस लूसी को एक बेकरी के पास खड़ा किया और सामान लेने चले गए ।

बेकरी से ब्रेड और बिस्कुटों की बड़ी प्यारी खुशबू आ रही थी ।

मिस लूसी सोचने लगी , ' ये इन्सान भी कितनी स्वादिष्ट चीजें खाते हैं ।

मुझे तो बस तेल , पेट्रोल और पानी से ही काम चलाना पड़ता है ।

' मिस लूसी ने सोचा कि उसे बाजार का एक चक्कर लगाकर देखना चाहिए कि इन्सानी दुनिया में क्या - क्या होता है ।

जल्द ही मिस लूसी घोड़ों , खच्चरों , भेड़ों तथा फलों और सब्जियों से भरे टबों , फूलों की

दुकानों , आसपास खेलते

बच्चों , रोजमर्रा का सामान

खरीदते एवं मोल - भाव

करते किसानों के बीच से गुजर रही थी ।

उसे यह सब देखकर बहुत आनंद आ रहा था ।

उसका दिल कर रहा था कि वह यूं ही घूमती रहे , लेकिन उसे अपने मालिक का भी ध्यान था ।

वह जानती थी कि अगर उसे देर हुई , तो मिस्टर मॉरिस घबरा जाएंगे ।

जब मिस्टर मॉरिस अपना काम निपटाकर आए , तो मिस लूसी को गायब देखकर घबरा गए ।

वे उसे वहीं खड़ा करके गए थे ।

आसपास के लोग भी मिस लूसी के बारे में कुछ नहीं बता पाए ।

मिस लूसी को कुछ देर खोजने के बाद मिस्टर मॉरिस चाय की एक दुकान पर बैठ गए , ताकि चाय पीकर नए सिरे से उसकी तलाश कर सकें ।

तभी चाय पीते समय उन्हें अचानक सड़क के दूसरी ओर मिस लूसी खड़ी दिखाई दी ।

वह अपने मालिक के पास वापस आ गई थी । उसने ' पों - पों ' की आवाज के साथ उनका स्वागत किया ।

लेकिन ये क्या ! उसमें एक बड़ी और रंगीन छतरी लगी थी ।

उसके आगे एक बड़ी - सी फूलों की माला लटक रही थी और उसके दरवाजों से बच्चे अंदर - बाहर आ जा रहे थे ।

वह बाजार में इतनी लोकप्रिय हो गई थी कि सभी लोग उस पर सवारी करना चाहते थे ।

यह सब देखकर मिस्टर मॉरिस को एक उपाय सूझ गया ।

उन्होंने वहीं बैठकर एक तख्ती पर लिखा- ' एक पैनी में करें सवारी ' ।

फिर शीघ्र ही वे बड़े मजे से युवकों , बच्चों और जानवरों को मिस लूसी की सवारी करवा रहे थे ।

शाम तक उनके पास बहुत से पैसे इकट्ठे हो गए थे ।

मिस लूसी भी काफी लोगों से मिलकर बहुत खुश थीं ।

फिर कुछ ही दिनों बाद मिस्टर मॉरिस ने मिस लूसी पर नया लाल रंग करवाया तथा अपने लिए नए जूते , कोट और टोप खरीदा ।

फिर वे मिस लूसी के पास गए और उसे सहलाकर प्यार से कहा , " इस आइडिया ने हमारी जिंदगी बदल दी ।

मिस लूसी , अगर तुम उस दिन लोगों को घुमाने न निकलतीं , तो मैं कभी तुम्हारी उपयोगिता नहीं जान पाता ।

तुम यहां कोने में खड़ी रहतीं और मैं गरीबी का सामना करता रहता ।

अब हम कितने मजे से पैसे कमा रहे हैं ।

मैं तुम्हारा बहुत एहसानमंद हूं । " मिस लूसी ने ' पों - पों ' की आवाज के साथ उन्हें अपना उत्तर दिया ।

अब वे कई गांव के बच्चों को सवारी कराते दिखाई देते हैं ।